क्या लिंग बढ़ाना संभव है? तरीके और उनकी प्रभावशीलता

मार्केटर यह दावा करते हैं ,कि उनके एक्सटेंडर, वैक्यूम पंप, पिल्स और क्रीम लिंग मोटा लम्बा करने में मदद कर सकते हैं। लेकिन क्या यह तरीके वाकई में काम करते हैं?

कई लोगों में लिंग का छोटा होना उनकी चिंता का कारण बन जाता है। इसीलिए आज लिंग बड़ा करने के प्रोडक्ट्स की इंडस्ट्री करोड़ों रुपयों तक जा पहुंची है।

इस लेख में हम विभिन्न लिंग बड़ा करने के तरीकों की प्रभावशीलता और साइड इफेक्ट्स के बारे में जानेंगे। हम यह भी चर्चा करेंगे कि एक सामान्य व्यक्ति के लिंग की एवरेज लम्बाई और मोटाई कितनी होती है और कब व्यक्ति को डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

लिंग की औसत साइज

लिंग हर प्रकार की आकृति और आकार के होते हैं, और वे काफी भिन्न-भिन्न हो सकते हैं।

2014 में हुए एक शोध में दुनिया के विभिन्न देशों से 15521 पुरुषों के लिंग की जाँच की गई और निम्न बातें सामने आईं –

  • बैठे हुए लिंग कीऔसत लम्बाई 3.61 इंच (9.16 सेंटीमीटर) और मोटाई 3.66 इंच (9.31 सेंटीमीटर)
  • खड़े हुए लिंग की औसत लम्बाई 5.16 इंच (13.12 सेंटीमीटर) और मोटाई 4.59 इंच (11.66 सेंटीमीटर)

शोधकर्ताओं ने पाया कि लगभग 5 प्रतिशत पुरुषों के खड़े लिंग की लम्बाई 6.2 इंच या उससे अधिक थी। और 5 प्रतिशत पुरुषों के खड़े लिंग की लम्बाई 4 इंच से कम थी।

क्या लिंग की साइज बढ़ाने के तरीके

ज्यादातर उत्पाद निर्माता बताते हैं, कि उनके प्रोडक्ट्स जैसे पिल्स, क्रीम, स्ट्रेचिंग डिवाइस आदि लिंग को बड़ा सकते हैं। कुछ लोग सर्जरी के बारे में भी विचार करते हैं।

हालाँकि, अमेरिका का यूरोलॉजी केयर फाउंडेशन यह बताता है, कि इनमें से ज्यादातर तरीके काम नहीं करते या उनका ज्यादा फायदा नहीं होता।

इसलिए हमने लिंग बढ़ाने वाले विभिन्न तरीकों की प्रभावशीलता के प्रमाण ढूंढें जिनकी जानकारी नीचे दी जा रही है:

स्ट्रेचिंग डिवाइसेस​

स्ट्रेचिंग डिवाइसेस​

स्ट्रेचिंग डिवाइसेस का काम होता है, लिंग के ऊतकों को स्ट्रेच करके उनकी लम्बाई बढ़ाना। इसमें व्यक्ति को अपने लिंग पर कुछ वजन बांधकर लटकाना होता है या डिवाइस को लिंग पर लगाकर स्ट्रेच करना होता है।

2010 में हुई एक वैज्ञानिक समीक्षा के अनुसार, लिंग को लम्बा करने के लिए स्ट्रेचिंग का इस्तेमाल एकमात्र सबूत आधारित प्राकृतिक तकनीक है, जो बाकई में लिंग को लम्बा कर सकती है।

साथ ही, इस तकनीक का नियमित अभ्यास करने से, उसका परिणाम लिंग लम्बा करने वाली सर्जरी के बराबर ही होता है।

स्ट्रेचिंग की प्रभावशीलता को कन्फर्म करने के लिए इनपर कुछ शोध भी हुए हैं, जिनके कई अलग-अलग परिणाम सामने आये हैं।

लेकिन इनमें से अधिकतर शोध यह साबित करते हैं, कि स्ट्रेचिंग के जरिये लिंग की लम्बाई को 1-3 सेंटीमीटर तक बढ़ाया जा सकता है।

इन शोधों में भाग लेने वाले व्यक्तियों को रोज दिन में 4 से 6 घंटे अपने लिंग पर स्ट्रेचिंग डिवाइस को लगाके रखना होता था। और कुछ ने तो 9 घंटे तक पहने रखा।

शोधकर्ता यह भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं, कि क्या स्ट्रेचिंग डिवाइसेस लिंग की सर्जरी से पहले या बाद में इस्तेमाल किये जा सकते हैं या नहीं। और क्या यह सर्जरी के परिणामों में अतिरिक्त लाभ दे सकते हैं या नहीं।

हालाँकि स्ट्रेचिंग डिवाइसेस के ऊपर अभी तक सीमित शोध ही हुए हैं और इनकी सुरक्षा और प्रभावशीलता का निर्धारण करने के लिए अभी और शोधों की जरूरत है।

आप चाहें तो इन्हें उपयोग करके देख सकते हैं। लेकिन इनका नियमित उपयोग करने से पहले अपने लिंग पर इनके विपरीत प्रभावों की जांच करते रहें और लिंग में कोई असामान्य बदलाव या तकलीफ दिखाई देने पर इनका उपयोग करना बंद कर दें।

पेनिस वैक्यूम पंप​

लिंग के वैक्यूम पंप में एक रबर की ट्यूब होती है, जिसे लिंग पर लगाया जाता है। फिर पंप के जरिये हवा को बाहर निकाल दिया जाता है जिससे लिंग पर वैक्यूम बनने लगता है। वैक्यूम के प्रेशर की वजह से लिंग में रक्त का प्रभाह बढ़ जाता है और लिंग फूलने लगता है।

डॉक्टर्स आमतौर पर नामर्दी या इरेक्टाइल डिसफंक्शन का इलाज करने के लिए वैक्यूम पंप की सलाह देते हैं, क्योंकि इन समस्याओं का सबसे मुख्य कारण लिंग में रक्त की कमी होता है।

हालाँकि ऐसा कोई वैज्ञानिक सबूत मौजूद नहीं है जो यह बताता हो कि वैक्यूम पंप लिंग को परमानेंट लम्बा या मोटा कर सकता है। लेकिन आप इनके इस्तेमाल से अपनी सेक्स लाइफ में कामोत्तेजना को जरूर बढ़ा सकते हैं।

गोलियाँ और क्रीम​

गोलियाँ और क्रीम​

कई गोलियों और क्रीम के निर्माता भी लिंग मोटा लम्बा करने का दावा करते हैं। इसमें ज्यादातर लिंग के लिए जरूरी विटामिन्स, मिनरल्स, हर्ब और हॉर्मोन्स पाए जाते हैं।

इन गोलियों और दवाओं की प्रभावशीलता को बता पाना काफी मुश्किल है। क्योंकि आपके लिंग में किन विटामिन्स, मिनरल्स या हॉर्मोन्स की कमी है, यह तो जांच कराके ही पता लगाया जा सकता है।

इसलिए, इनका उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से उचित जांच कराएं और उसकी सलाह अनुसार ही दवाओं का सेवन करें।

हालाँकि लिंग बढ़ाने की कुछ प्राकृतिक दवाएं भी हैं, जिनको आप खुद से ही इस्तेमाल करके देख सकते हैं।

लिंग की सर्जरी​

लिंग की सर्जरी​

लिंग की सर्जरी दो मुख्य प्रकार की होती हैं।

पहले प्रकार में लिंग में फैट सेल्स को इंजेक्ट किया जाता है। इस प्रक्रिया का मुख्य लक्ष्य होता है, लिंग की मोटाई को बढ़ाना, लेकिन कुछ मामलों में इसमें लम्बाई भी बढ़ाई जा सकती है।

इस प्रक्रिया में काफी जोखिम भी होते हैं। इसके साइड इफ़ेक्ट के रूप में लिंग में सूजन या विरूपण (distortion) की समस्या हो सकती है। यदि साइड इफेक्ट्स काफी ज्यादा होते हैं, तो लिंग को काटने तक की नौवत आ सकती है।

सर्जरी के इसी प्रकार के एक तरीके में, शरीर के किसी अन्य भाग से फैट सेल्स को निकालकर, लिंग के ऊपर लगाया जाता है। इस प्रक्रिया में जोखिम कम होता है और इससे 12 महीने में लिंग को एवरेज 2.5 सेंटीमीटर तक बढ़ाया जा सकता है।

हालाँकि, आपका लिंग अगले एक वर्ष में नए फैट के 20 से 80 प्रतिशत हिस्से को खो सकता है, इसलिए उचित परिणाम प्राप्त करने के लिए आपको एक से अधिक सर्जरी करवानी पढ़ सकती हैं।

सर्जरी का दूसरा मुख्य प्रकार है, लिंग के लिगामेंट काटना। इसे मेडिकल भाषा में Suspensory Ligament of Penis कहा जाता है।

लिगामेंट एक प्रकार के फाइबर से युक्त टिश्यू होते हैं, जो लिंग को प्यूबिक मांसपेशी से जोड़े रखते हैं। यदि डॉक्टर इसे काट दे, तो लिंग बाहर की तरफ निकल आता है और ज्यादा लंबा दिखाई देने लगता है।

यह तरीका औसतन लिंग की लम्बाई को 1-3 सेंटीमीटर तक बढ़ा सकता है, लेकिन अक्सर रोगी और उसका पार्टनर इससे पूर्ण संतुष्ट नहीं होता। साथ ही, लिगामेंट सेक्स के दौरान इरेक्शन को भी सपोर्ट करता है, इसलिए इसे काट देने से सेक्स में समस्याएं हो सकती हैं।

इसलिए अमेरिकन यूरोलॉजिकल डिपार्टमेंट यह मानता है, कि लिंग को बड़ा करने में सर्जरी न तो सुरक्षित होती है और न ही ज्यादा प्रभावशाली।

सर्जरी की जरूरत कब होती है?

डॉक्टर्स सर्जरी को तभी आवश्यक बताते हैं जब व्यक्ति को माइक्रोपेनिस (micropenis) नामक समस्या हो। माइक्रोपेनिस सामान्य से अत्यधिक छोटा लिंग होने की समस्या को कहा जाता है, जो 4 इंच से कम होता है।

इस समस्या के मुख्य कारण हैं:

  1. जन्म से पूर्ण माता के शरीर में एंड्रोजन हॉर्मोन का स्त्राव कम होना जिससे लिंग का ठीक से विकास नहीं हो पाना।
  2. क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम (Klinefelter syndrome) होना जिसमें पुरुष के जन्म से पूर्ण उसके सेल्स में दो या दो से अधिक X क्रोमोजोम्स बन जाना।
  3. लेडिग सेल हाइपोप्लासिया (Leydig cell hypoplasia) होना जिसमें लिंग के सेल्स का विकास ठीक से नहीं हो पाता ।
  4. एंड्रोजन असंवेदनशीलता सिंड्रोम (Androgen insensitivity syndrome) जिसमें सेल्स एंड्रोजन हॉर्मोन के साथ ठीक से प्रतिक्रिया नहीं कर पाते।

लिंग वृद्धि के तरीकों में जोखिम और दुष्प्रभाव

लिंग वृद्धि की सर्जरी के सबसे बुरे दुष्प्रभाव होते हैं, जिनमें लिंग में सूजन और इन्फेक्शन मुख्य हैं। यह लक्षण इतने गंभीर हो सकते हैं, कि लिंग को निकालने तक की नौवत आ सकती है।

सर्जरी के कारण इरेक्टाइल डिसफंक्शन भी हो सकता है।

वैक्यूम पंप और स्ट्रेचिंग डिवाइसेस के अत्यधिक इस्तेमाल से, लिंग के टिश्यू डैमेज हो सकते हैं, जिसके फलस्वरूप लिंग में ढीलापन और नसों में कमजोरी आ सकती है।

मेडिकल दवाओं और क्रीम में कुछ केमिकल्स भी मौजूद हो सकते हैं, जो शरीर पर अन्य दुष्प्रभाव डाल सकते हैं।

इसके अलावा, प्रत्येक व्यक्ति की स्किन का प्रकार अलग-अलग होता है, इसलिए कुछ व्यक्तियों को क्रीम आदि से एलर्जी हो सकती है।

इसलिए सिर्फ लिंग बढ़ाने के प्राकृतिक तरीकों को ही अपनायें।

साथ ही, क्रीम आदि का इस्तेमाल करने से पहले पता लगायें सबसे पहले लिंग या शरीर की अन्य स्किन के छोटे हिस्से में लगाके देखें और जलन या खुजली आदि की समस्या होने पर इनका इस्तेमाल न करें।

साइज से ज्यादा सेक्स परफॉरमेंस पर ध्यान दें

लिंग की साइज को लेकर नकारात्मक भाव रखने से व्यक्ति के सेक्स परफॉरमेंस और एन्जॉयमेंट पर काफी बुरा असर पड़ता है। जिन पुरुषों को यह लगता है, कि उनका लिंग छोटा है, आमतौर पर उनका लिंग सामान्य ही होता है, इसीलिए ज्यादातर लिंग बढ़ाने के तरीके कारगर नहीं होते।

काउन्सलिंग और मैडिटेशन के जरिये आप अपना आत्मविश्वास बड़ा सकते हैं और नकारात्मक भावों को दूर कर सकते हैं। इसके अलावा आप किसी साइकेट्रिस्ट या यौन रोग विशेषज्ञ की सहायता भी ले सकते हैं।

साथ ही, हमेशा अपने लिंग के आसपास के बालों को छोटा रखें और अपने पेट के मोटापे को कम करें ताकि आपका बड़ा दिखाई दे। यह बातें कहने में तो काफी सामान्य सी लगती है लेकिन इनका आपकी सेक्स लाइफ पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

डॉक्टर की मदद कब लें

यदि आपको अपनेआप में पेनाइल डिस्मॉर्फोफोबिया विकार या penile dysmorphophobia disorder (PDD) के लक्षण दिखाई देते हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

इस विकार के दो प्रकार होते हैं, लेकिन दोनों में ही व्यक्ति लगातार अपने लिंग के साइज को अंडरएस्टीमेट करता है और दूसरों के लिंग के साइज को ओवरएस्टीमेट करता है।

इसके फलस्वरूप व्यक्ति को डिप्रेशन, सेक्स में पूरा परफॉरमेंस न दे पाने की चिंता और नामर्दी का अनुभव होने लगता है। कुछ व्यक्तियों में यह विकार होने पर उनमें वीर्य जल्दी गिरने की समस्या और पूर्ण सेक्स संतुष्टि न मिलने की समस्या हो सकती है।

PDD, बॉडी डिमोर्फ़िया (body dysmorphia) नामक विकार का एक रूप होता है जिसमें व्यक्ति को अपनी शारीरिक संरचना से घृणा या असंतुष्टि होती है।

सारांश

कई लोग अपने लिंग के साइज को लेकर परेशान रहते हैं और इसी कारण लिंग बढ़ाने के प्रोडक्ट्स और दवाओं का मार्केट काफी बढ़ गया है।

हालाँकि, जैसे हमने ऊपर बताया था ज्यादातर पुरुषों के लिंग का साइज सामान्य ही होता है और उन्हें सिर्फ अपने परफॉरमेंस पर ध्यान देने की जरूरत होती है। जेनेटिक्स और प्राकृतिक रूप से सामान्य लिंग को लम्बा या मोटा करना काफी मुश्किल होता है, और इसे बड़ा करने के तरीकों को आजमाने के दौरान काफी साइड इफेक्ट्स और रिस्क का सामना भी करना पड़ता है।

इसलिए यदि आपको लगता है कि आपके लिंग का साइज छोटा है तो सबसे पहले आपको अपने डॉक्टर से उचित जाँच करवाएं। और फिर उन जांचों के नतीजों के आधार पर ही आगे कोई कदम उठाना चाहिए।

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